श्रीलंका का इतिहास…!!!

श्रीलंका

श्रीलंका का इतिहास एक अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण धरोहर से भरपूर है, जो 2,500 वर्षों से अधिक पुराना है। इसका इतिहास न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के इतिहास से गहरे तौर पर जुड़ा हुआ है। श्रीलंका के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ, साम्राज्य, और युद्ध शामिल हैं। यहां हम श्रीलंका के इतिहास के मुख्य पहलुओं को हिंदी में प्रस्तुत कर रहे हैं:

1. प्रागैतिहासिक श्रीलंका (6वीं सदी ई.पू. से पहले)

प्रारंभिक निवासी: श्रीलंका में मानव बस्तियाँ 125,000 साल पहले तक फैली हुई थीं। सबसे पहले बलंगोड़ा मन (Balangoda Man) नामक प्राचीन मानव के अवशेषों को पाया गया है, जो लगभग 12,000 से 5,000 ई.पू. के बीच श्रीलंका में रहते थे।

गुफा चित्रकला और उपकरण: श्रीलंका में प्राचीन गुफाओं में चित्रकला और उपकरण मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि यहां प्राचीन सभ्यताएँ अस्तित्व में थीं।

2. प्राचीन श्रीलंका (6वीं सदी ई.पू. से 10वीं सदी तक)

सिंहली लोगों का आगमन: सिंहली लोग, जो भारतीय उपमहाद्वीप के विजय नामक राजकुमार के वंशज माने जाते हैं, लगभग 6वीं सदी ई.पू. में श्रीलंका पहुंचे। विजय और उनके अनुयायी ने ताम्बापन्नि (वर्तमान में मन्नार या उत्तर-पश्चिमी तट) पर पहला राज्य स्थापित किया।

अनुराधपुर काल (377 ई.पू. – 1017 ई.):

अनुराधपुर राज्य श्रीलंका का पहला प्रमुख राज्य था और लगभग 1,000 वर्षों तक यह समृद्ध रहा। इस राज्य के दौरान बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ, खासकर राजा देवनंतीपि तिस्स (3री सदी ई.पू.) के शासनकाल में, जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया।

अनुराधपुर के लोग जल प्रबंधन में माहिर थे और उनके द्वारा बनाए गए जलाशय और सिंचाई प्रणालियाँ आज भी प्रशंसा की जाती हैं।

पोलोन्नरुवा काल (1017-1215 ई.): अनुराधपुर के पतन के बाद, पोलोन्नरुवा राज्य प्रमुख बन गया। यहां बौद्ध कला और वास्तुकला के कई महत्वपूर्ण उदाहरण बने, जैसे गाल विहार की मूर्तियाँ।

3. मध्यकालीन श्रीलंका (12वीं सदी – 16वीं सदी)

कांडी राज्य (1469-1815 ई.): पोलोन्नरुवा के पतन के बाद कांदी राज्य का उदय हुआ, जो श्रीलंका का अंतिम स्वतंत्र सिंहली राज्य था। कांदी राज्य ने तटीय आक्रमणों का सामना किया और पुर्तगालियों तथा डचों के खिलाफ संघर्ष किया।

पुर्तगाली शासन (1505 ई. से 1658 ई.): पुर्तगालियों ने 1505 में श्रीलंका में कदम रखा और तटीय क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने ईसाई धर्म का प्रचार किया और किले बनाए, लेकिन उनका शासन स्थानीय जनता द्वारा विरोधी था, खासकर कांदी राज्य में।

डच शासन (1658-1796 ई.): पुर्तगालियों को डचों ने 1658 में हरा दिया। डचों ने तटीय क्षेत्रों पर शासन किया, और चाय, रबर और नारियल जैसी उपजों की खेती को बढ़ावा दिया। हालांकि, कांदी राज्य अब भी स्वतंत्र बना रहा।

ब्रिटिश शासन (1796-1948 ई.): 1796 में ब्रिटिशों ने श्रीलंका पर नियंत्रण कर लिया। 1815 में कांदी राज्य को भी ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया गया। ब्रिटिशों ने श्रीलंका में चाय की खेती को बढ़ावा दिया, और द्वीप की अर्थव्यवस्था को वैश्विक व्यापार प्रणाली में शामिल किया। इसके अलावा, अंग्रेजों ने ईसाई धर्म का प्रचार किया और अंग्रेजी को प्रशासनिक भाषा बना दिया।

4. स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता (1948 – 1972)

स्वतंत्रता (1948): श्रीलंका ने 4 फरवरी 1948 को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की। इसे सीलोन के नाम से जाना जाता था और यह एक संविधानिक मोनार्की थी, जिसमें ब्रिटिश सम्राट एक प्रतीकात्मक प्रमुख था।

राष्ट्रीयता की शुरुआत: 19वीं और 20वीं सदी के अंत में श्रीलंकाई राष्ट्रीय आंदोलन का विकास हुआ, जिसने स्वतंत्रता और सिंहली संस्कृति की पुनरुत्थान की दिशा में काम किया।

संविधानिक परिवर्तन: 1972 में श्रीलंका को गणराज्य घोषित किया गया और देश का नाम श्रीलंका रखा गया।

5. आधुनिक श्रीलंका और जातीय संघर्ष (1983 – 2009)

जातीय संघर्ष: श्रीलंका में सिंहली और तमिल समुदायों के बीच एक लंबा जातीय संघर्ष चला। तमिल टाइगर्स (LTTE) ने 1983 से 2009 तक स्वतंत्र तमिल ईलम के लिए संघर्ष किया। इस संघर्ष में हजारों लोग मारे गए और देश को व्यापक नुकसान हुआ।

शांति प्रक्रिया और युद्ध का अंत: 2009 में, श्रीलंकाई सरकार ने तमिल टाइगर्स को पराजित किया और युद्ध समाप्त किया। हालांकि, इस युद्ध के दौरान मानवाधिकारों का उल्लंघन होने के आरोप भी लगे।

6. हालिया घटनाएँ और संकट (2022 – वर्तमान)

ईस्टर बम धमाके (2019): 2019 में ईस्टर संडे पर श्रीलंका में इस्लामी आतंकवादी हमले हुए, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए। यह हमला श्रीलंका में धार्मिक असहमति और आतंकी हमलों की चिंता को बढ़ाता है।

राजनीतिक अस्थिरता: आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ी है, और सरकार ने सुधारों की दिशा में काम करना शुरू किया है।

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